Swami Vivekananda 4220
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"आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित होने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो।"