Swami Vivekananda 5549
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"स्वयं में बहुत सी कमियों के बावजूद अगर में स्वयं से प्रेम कर सकता हूँ, तो दुसरो में थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे घृणा कैसे कर सकता हूँ।"